वीडियो जानकारी:
शब्दयोग सत्संग
१६ नवम्बर २०१४
अद्वैत बोधस्थल, नॉएडा
दोहा:
देह धरे का गुन यही, देह देह कछु देह |
बहुरि न देही पाइए, अबकी देह सो देह || ( गुरु कबीर)
प्रसंग:
शरीर का महत्व कितना है जीवन में?
क्या शारीरिक मृत्यु के बाद भी कोई जीवन है?
मृत्यु का मनुष्य के जीवन से क्या सम्बन्ध है?